Spread the love

कलश स्थापना के साथ 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र आरंभ–आचार्य दैवज्ञ

अष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन शुक्रवार को होने से मंत्रों एवं यंत्रों की सिद्धि के लिए अद्भुत संयोग

प्रदीप कुमार
देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर से कलश स्थापना के साथ हो रही है। इस साल नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न एवं शिक्षा/ संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक आचार्य डॉ.चंडी प्रसाद घिल्डियाल दैवज्ञ बताते हैं कि नवरात्रि के प्रथम दिन हस्त नक्षत्र ऐन्द्र योग व जयद योग में पूजन होगा। मां दुर्गा का आगमन इस बार पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा। वह बताते हैं,कि इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन शुक्रवार को होने से मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर लोगों के कल्याण के लिए बड़ा अद्भुत संयोग बन रहा है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:15 से 7:22 तक विशेष मुहूर्त है, और इसके बाद दिन में 11:46 से 12:32 तक अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है। अष्टमी-नवमी का एक ही दिन होना बड़ा अद्भुत संयोग। ज्योतिष एवं श्रीमद् भागवत के मर्मज्ञ आचार्य दैवज्ञ बताते हैं,कि शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि दो दिन छह व सात अक्टूबर को रहेगा। अष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्टूबर शुक्रवार को होगा। 12 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनेगा। नवरात्र के दौरान एक तिथि की वृद्धि व दो तिथि एक दिन होने से दुर्गापूजा 10 दिनों का होगा,जो शास्त्रीय दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए इन दिनों में वह लगातार संपर्क में चल रहे लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न किस्म के यंत्रों का निर्माण भी करेंगे। संस्कृत शिक्षा के विद्वान सहायक निदेशक डॉ.चंडी प्रसाद आगे बताते हैं,कि मां दुर्गा के नौ रूपों में शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा,कुष्मांडा,स्कंदतामा,कात्यायनी,मां कालरात्रि,महागौरी व सिद्धिदात्री की पूजा होगी। बताया कि कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश में ब्रह्मा,विष्णु,रूद्र,नवग्रह,सभी नदियों,सागरों,सात द्वीपों समेत अन्य देवी-देवताओं का वास माना जाता है। नवरात्र के दौरान दुर्गा पाठ करने से सकारात्मकता का वास होता है। उचित क्रम के अनुसार ही होनी चाहिए दुर्गा पूजा।
तीन अक्टूबर : शैलपुत्री
चार अक्टूबर :ब्रह्मचारिणी
पांच अक्टूबर : चंद्रघंटा
छह अक्टूबर : कुष्मांडा
सात अक्टूबर : कुष्मांडा
आठ अक्टूबर : स्कंदमाता
नौ अक्टूबर : कात्यायनी
10 अक्टूबर : कालरात्रि
11 अक्टूबर : महागौरी व सिद्धिदात्री
12 अक्टूबर : विजयादशमी।

By Shikhar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp