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प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। बैशाख शुक्ल पंचमी,जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जयंती के शुभ अवसर को भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा इस अवसर पर भारतीय दार्शनिक दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो.इंदु पांडेय खंडूड़ी ने इस दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रासंगिकता और शंकराचार्य के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शृंगेरी मठ से प्रारंभ हुई इस परंपरा का अटल बिहारी बाजपेई जी के समय निर्वाह प्रारंभ हुआ जो बहुत समय बाद 2023 में पुनः प्रारंभ हुआ। दर्शन शास्त्र विभाग में इसका आयोजन पहली बार हुआ है और यह होता रहेगा यह हर्ष का विषय है। शंकर के दर्शन को उन्होंने श्रेष्ठ निष्काम कर्मयोगी के जीवन दर्शन के रूप में बताया।
कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े मुख्य वक्ता प्रो.द्वारकानाथ,विभागाध्यक्ष,दर्शनशास्त्र विभाग,दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय ने कहा कि शंकराचार्य जी का दर्शन चिंतन की पराकाष्ठा है। उन्होंने संसार को व्यावहारिक और आध्यात्मिक कल्याण का मार्ग दिखाया। उन्होंने मात्र 32 वर्ष की अल्पायु में ही सदियों के कार्य कर डाले।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.हिमांशु बौडाई,संकायाध्यक्ष,मानविकी और समाज विज्ञान ने की। उन्होंने प्राचीन,मध्य कालीन और अर्वाचीन दर्शन परंपरा को संक्षेप में बताते हुए गांधी दर्शन में सर्वोदय की विचारधारा को विवेचित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.कविता भट्ट,सहायक आचार्य दर्शनशास्त्र विभाग ने किया। डॉ.ऋषिका वर्मा,सहायक आचार्य दर्शनशास्त्र विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में शिक्षणेत्तर कर्मी ओम प्रकाश सहित शोधार्थी जीजाउर हमान,नवीन,मीनाक्षी,दीपिका,महिपाल,पीयूष,आलोक,अभिषेक,शंकर और दिग्विजय इत्यादि सहित दर्शनशास्त्र विभाग और विभिन्न विभागों के शोधार्थियों और छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया।

By Shikhar

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